Tuesday 4 June 2013

khubsurat manzar

खुबसूरत से नज़ारे हैं, 
कुछ बहके से सितारे हैं।

फूलों से लदे ये मंज़र 
लिपटते हैं मुझसे क्यूँकर। 

मद्धम सी हवाएं टकराती हैं मुझसे 
कहती हैं कानों में कुछ चुपके से। 

शायद सारा रुत ही बेक़रार है 
किसी के आहट का इंतज़ार है।

सुकूँ है दिल को जिससे मेरे 
तलाश बरसों की थी मुझको जैसे।

 प्यासे को सावन का जैसे
मिलने को आतुर हूँ  वैसे।


--------------कमला सिंह -----  

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