Friday 16 August 2013

--तुम-ही तो -हो

--------------तुम-ही तो -हो --------------
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मुकद्दर मेरा रौशन हो ,दुआ है ये मेरी 
कुबूल कर ए खुदा इल्तजा ये मेरी 
जगमगाता रहे माथे का सूरज 
महकती रहूँ मैं फूलों की तरह 
जिंदगी कट जाए खुशबू की मानिंद 
खिलती रहूँ मैं कलियों की तरह 
होठों की लाली बरकरार रहे लबों पे मेरे 
थिरकती रहे यूँ ही तरन्नुम हवाओं में 
झूमती रहूँ मदहोशी में तेरे प्यार की 
उडती रहूँ फ़ज़ाओं में 
थाम लेना हाथ मेरा ,गर मैं गिर पडूँ 
तुम ही तो हो जिंदगी और कायनात मेरे 
---------------------कमला सिंह ज़ीनत  
 

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