Saturday 8 February 2014

काश
******************
दिल करता है
हवाओं को मुट्ठी में पकडूँ
और
निचोड़ डालूँ
ताकि 
नफरत की बूँद बूँद गड़ जाए
और
मेरी हथेली पर बचा रह जाए
मिलावट रहित
प्यार की खुशबू
काश-----------

कमला सिंह 'ज़ीनत'

No comments:

Post a Comment