Monday 5 January 2015

***********ग़ज़ल**********
तेरी नज़रों से उतरने वाले
पहले हम ही रहे मरने वाले
जि़न्दगी दार कर गयी थी हमें
हम ही थे दार पे चढ़ने वाले
सोच कर दर्द बहुत होता है
तुम रहे पर को क़तरने वाले
ये लो दिल की कि़ताब खोल दिया
गुम कहाँ हो गये पढ़ने वाले
है अंधेरा खडा़ घेरे हमको
तुम अंधेरों से थे लड़ने वाले
कुछ क़तारों में अभी हैं 'जी़नत'
हादसे हम पे गुज़रने वाले
कमला सिंह 'ज़ीनत'

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