Monday 9 March 2015

देख के ऐसी , जादू नगरी , दुनिया हो जाए दंग
एक ही रंग में , खो जाएँ सब ,साधू और मलंग
न कोई हिन्दू,न कोई मुस्लिम,कोई सिख न ईसाई
ऐसा रंग चढे़ रंग - रंग पे , छुप जाए सब रंग


रंग बिखराओ होली आई,खुलकर ओ रंगरेज़
रंग चढे़ तो उतर न पाए , शोख़ रंग हो तेज़
खू़ब अमन हो ,खू़ब मिलन हो,झूमें नाचें लोग
इक - इक ज़र्रा , रंग में डूबे , हो हैरतअंगेज़

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