Tuesday 23 June 2015

हर ख्वाब है शिकारी नींदें उडा के रखना
ये आग का शहर है दामन बचा के रखना
इसमें है होशमंदी बरक़त है इस शगल में
दौलत हो या निवाला सबसे छुपा के रखना
पोशीदगी ज़रूरी होती है आशिक़ी में
मोती की आरजू हो सीपी डुबा के रखना

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